सुंदरकांड के अर्थ सरल शब्दों में समझें
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लंका नगरी में हनुमानजी को माता सीता का भेद किसने दिया ?
जब हनुमान जी लंका गए सीता माता का पता लगाने के लिए तब उन्हें विभीषण जी ने बताया था कि सीता माता अशोक वाटिका में हैं।
सुंदरकांड की यह चौपाई इस बात तो बताती है।
ramcharitmanas sunderkand arth sahit |
जुगुति विभीषन सकल सुनाई। चलेउ पवनसुत बिदा कराई।।
अर्थ: विभीषण जी ने हनुमान जी को माता सीता से मिलने की सभी युक्तियां और उपाय बताए जिससे हनुमान जी को माता सीता के दर्शन हो जाए। और हनुमान जी विभीषण जी से विदा लेके चल दिए।
सीता जी ने हनुमान जी को क्या वरदान दिया था?
सीता माता ने हनुमान जी को अष्ट सिद्धियां यानी कि आठ सिद्धियां दी। जब हनुमान जी सीता माता से मिले। श्री राम का हाल बताया और सीता माता को धीरज रखने के लिए कहा और उन्हें भरोसा दिलाया कि प्रभु श्री राम जरूर आयेंगे और राक्षसों को मार कर उन्हें अपने साथ ले जायेंगे।
तब मां सीता ने उन्हें अजर अमर का वरदान दिया।
आसिष दीन्हि राम प्रिय जाना। होहु तात बल सील निधाना॥
अर्थ: सीता माता ने हनुमान जी को श्री राम का प्रिय जानकार उन्हें आशीर्वाद दिया कि हे तात! तुम बल और शील के निधान हो जाओ।
अजर अमर गुननिधि सुत होहू। करहुँ बहुत रघुनायक छोहू॥
अर्थ: उन्होंने हनुमान जी को पुत्र कह कर उन्हें अजर (बुढ़ापे से रहित), अमर और गुणों के खजाने होने का आशीर्वाद दिया। और कहा कि श्री .रघुनाथजी तुम पर बहुत कृपा करें। ramcharitmanas sunderkand arth sahit
हनुमान जी ने लंका पहुंचकर सीता माता को खोजने के लिए क्या किया था?
हनुमान जी ने माता सीता को लंका में खोजने ने लिए अनेक उपाय किए। उन्होंने एक-एक महल की खोज की। जहाँ-तहाँ असंख्य योद्धा देखे। फिर वे रावण के महल में गए। वह अत्यंत विचित्र था, जिसका वर्णन नहीं हो सकता।
हनुमान जी ने रावण को सोते हुए देखा, परंतु महल में जानकीजी नहीं दिखाई दीं। फिर एक सुंदर महल दिखाई दिया। उसमें भगवान् का एक अलग मंदिर बना हुआ था। वह महल विभीषण का था। विभीषण जी से ही हनुमान जी को माता सीता का पता चला।
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हनुमान लंका नगरी क्यों गए थे?
हनुमान जी लंका नगरी माँ सीता का पता लगाने गए थे। जब सुग्रीव ने अपनी वानर सेना चारो दिशाओं में माँ सीता की खोज के लिए भेजी तो हनुमान जी दक्षिण दिशा में जाने वाली टुकड़ी में थे। हनुमान जी, जामवंत जी और अंगद यह सभी दक्षिण दिशा में गए माता सीता का पता लगाने के लिए। ramcharitmanas sunderkand arth sahit
समुद्र तट पर संपति द्वारा पता चला कि लंका का राजा रावण माता सीता को हर ले गया है। तब हनुमान जी माता सीता का पता लगाने के लिए लंका गए।
लंका नगरी में हनुमान जी को किस अस्त्र से बंधी बनाया गया था?
लंका नगरी में सीता माता का पता लगाने के बाद जब हनुमान जी अशोक वाटिका के फल खा रहे थे और पेड़ो को तोड़ रहे थे। रावण ने अपने सैनिक भेजे। और हनुमान जी ने हर बार सबको धारा शाही कर दिया।
उसी में एक रावण का बेटा अक्षय कुमार भी था। उसके भी मारने के बाद मेघनाथ आया। उसने हनुमान जी के साथ युद्ध किया। कई प्रयास के बाद जब मेघनाथ हनुमान जी से जीत नहीं पा रहा था तब उसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया।
ब्रह्म अस्त्र तेहि साँधा कपि मन कीन्ह बिचार।
जौं न ब्रह्मसर मानउँ महिमा मिटइ अपार॥
अर्थ: प्रयास के बाद जब मेघनाथ हनुमान जी से जीत नहीं पा रहा था तब उसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। हनुमान जी ने विचार किया कि अगर वो ब्रह्मास्त्र को नहीं मानेंगे तो उसकी महिमा मिट जाएगी।
ब्रह्मबान कपि कहुँ तेहिं मारा। परतिहुँ बार कटकु संघारा॥
तेहिं देखा कपि मुरुछित भयऊ। नागपास बाँधेसि लै गयऊ॥
अर्थ: ब्रह्म बाण लगते ही हनुमान जी मूर्छित हो गए (अपनी इच्छा से) और फिर नाग़फास अस्त्र से उन्हें बांधी बनाया गया।
सीता माता ने हनुमान जी को क्या दिया था पहचान के तौर पर?
सीता माता ने हनुमान जी को चूड़ामणि दी। जब हनुमान जी माता सीता के मिल के, लंका जला के वापिस जाने लगे तब उन्होंने सीता माता से कोई पहचान के तौर पर चीज मांगी जो वह जाके श्री राम को दिखाते। तब माता सीता ने उन्हें चूड़ामणि उतर कर दी।
मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा। जैसें रघुनायक मोहि दीन्हा॥
चूड़ामनि उतारि तब दयऊ। हरष समेत पवनसुत लयऊ॥
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