हरतालिका तीज क्या है और क्यों मनाई जाती है?
Hartalika Teej Puja Vidhi in Hindi: ‘हरतालिका’ शब्द बना है ‘हरित’ (हर लेना) और ‘आलिका’ (सखी) से — इसका अर्थ है सखी द्वारा हर ले जाना। यह व्रत उस दिन की स्मृति है जब माता पार्वती की सखी उन्हें अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध ले गईं ताकि उनका विवाह शिवजी से हो सके।
माता पार्वती ने घोर तपस्या से भगवान शिव को पति रूप में पाया। उसी श्रद्धा और संकल्प का प्रतीक है हरतालिका तीज व्रत।
यह व्रत सुहागिन स्त्रियाँ पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं, जबकि कन्याएँ योग्य वर प्राप्ति के लिए।
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हरतालिका तीज 2025 में कब है? शुभ मुहूर्त और तिथि
- तिथि: भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया
- दिनांक: 26 अगस्त 2025, मंगलवार
- पूजा मुहूर्त (प्रदोष काल): सुबह 06:45 से सुबह 08:30 तक (स्थानीय समय अनुसार)
- व्रत पारायण: अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद
प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि शिवजी उस समय पार्वती जी के साथ होते हैं।
हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि (Step-by-Step)
- प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
- पूजा स्थल पर मिट्टी या रेत से शिव-पार्वती की मूर्ति बनाएं।
- मूर्तियों को लाल/पीले वस्त्र में सजाएं।
- कलश स्थापना करें — आमपत्र, नारियल, और गंगाजल से पूजन करें।
- सोलह श्रृंगार से सजें (सुहागिन स्त्रियाँ)।
- दीपक जलाएं और रोली, चावल, हल्दी, फूलों से पूजन करें।
- व्रत कथा का पाठ करें (कथा नीचे दी गई है)।
- रात्रि में जागरण और भजन-कीर्तन करें।
- व्रत का पारायण अगले दिन सूर्योदय के बाद करें। फलाहार से व्रत तोड़ें।
हरतालिका तीज पूजन सामग्री सूची
सामग्री | उपयोग |
मिट्टी या रेत | शिव-पार्वती मूर्ति बनाने के लिए |
कलश, आम पत्र, नारियल | शुभता व स्थापना के लिए |
रोली, चावल, हल्दी, फूल | पूजन में प्रयोग हेतु |
सोलह श्रृंगार सामग्री | सुहाग का प्रतीक |
फल, पंचमेवा, मिठाई | नैवेद्य |
जल और गंगाजल | कलश में एवं अभिषेक हेतु |
दीपक और घी | पूजा और आरती हेतु |
हरतालिका तीज व्रत कथा | Hartalika Teej Vrat Katha
पार्वती जी को राजा हिमावंत ने भगवान विष्णु से विवाह के लिए तैयार किया। परंतु देवी की इच्छा केवल शिवजी को पति रूप में पाने की थी।
उनकी सखी ने उन्हें हर (हरित) लिया — और वे दोनों जंगल में चली गईं।
वहाँ देवी पार्वती ने निर्जल तपस्या की, शिवजी को पाने के लिए।
उनकी निष्ठा से प्रसन्न होकर शिवजी ने विवाह स्वीकार किया।
तभी से यह व्रत परंपरा बन गया — यह कथा सत्य, संकल्प और श्रद्धा की शक्ति का प्रतीक है।
हरतालिका तीज व्रत के नियम (क्या करें और क्या नहीं करें)
व्रत के दौरान क्या करें:
- पूरे दिन निर्जल उपवास रखें (बिना जल भी नहीं)
- श्रद्धा और निष्ठा से व्रत करें — दिखावे से नहीं
- रात को जागरण करें, भजन-कीर्तन करें
- व्रत कथा का श्रवण या पाठ अवश्य करें
व्रत में क्या न करें:
- भोजन, जल या फल ग्रहण न करें (यदि सक्षम हों)
- क्रोध, आलस्य और तामसिक वृत्ति से दूर रहें
- बिना स्नान पूजा न करें
- व्रत कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है
अगर स्वास्थ्य अनुमति न दे तो Hartalika Teej Puja Vidhi in Hindi में फलाहार व्रत रखें — भावना ही सर्वोपरि है।
हरतालिका तीज का महत्व और व्रत के लाभ
- शिव-पार्वती जैसे पवित्र दांपत्य जीवन का आशीर्वाद
- सुहाग की रक्षा और पति की दीर्घायु
- कन्याओं को योग्य और इच्छित वर की प्राप्ति
- गृह-शांति, संतान सुख और आत्मबल
- मनोकामना पूर्ति और जीवन में स्थायित्व
यह व्रत भाव और श्रद्धा से किया जाए तो ही फलदायी होता है।
हरतालिका तीज से जुड़े FAQs
हरतालिका तीज की पूजा कैसे की जाती है?
शिव-पार्वती की मिट्टी मूर्ति बनाकर, सोलह श्रृंगार करके, तृतीया तिथि को प्रदोष काल में पूजन किया जाता है।
हरतालिका तीज व्रत की कथा क्या है?
पार्वती जी की घोर तपस्या और सखी द्वारा हरने की कथा — जिसमें उन्होंने शिवजी को अपने तप से पाया।
व्रत में क्या खाना चाहिए?
कुछ नहीं। यह निर्जल व्रत है। केवल पारायण के बाद ही फलाहार लें। कमजोर व्यक्ति फल/पानी ले सकते हैं।
तीज पूजा के लिए कौन सा मंत्र है?
“ॐ नमः शिवाय”
“ॐ पार्वत्यै नमः”
इनका जप करें।
हरतालिका पूजा पर कौन सा रंग पहनना चाहिए?
लाल, हरा या पीला रंग — सुहाग और समर्पण के प्रतीक।
हरतालिका की पूजा कितने बजे है?
प्रदोष काल में — यानी सूर्यास्त से पूर्व, संध्या के समय।
हरतालिका तीज का व्रत कब खोला जाता है?
अगले दिन प्रातः स्नान कर, फलाहार या जल ग्रहण करके।
क्या कुंवारी कन्याएं व्रत रख सकती हैं?
जी हाँ — योग्य वर की प्राप्ति हेतु कई कन्याएँ यह व्रत श्रद्धा से करती हैं।
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निष्कर्ष: श्रद्धा से जुड़ें, दिखावे से नहीं
Hartalika Teej Puja Vidhi in Hindi: हरतालिका तीज केवल व्रत नहीं — यह श्रद्धा, संकल्प और स्त्री शक्ति का उत्सव है।
यह त्याग नहीं, आस्था का अभिषेक है।व्रत में सबसे महत्वपूर्ण है — मन का शिव से मिलन। और वह तभी संभव है जब पूजा सच्चे भाव से की जाए।